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सावन की झड़ी

सावन की झड़ी

स्वागत में खड़े है सभी
देखोंं सावन आया है
मिलकर सभी नर नारी
सावन की झूला सजाया है।
रिमझिम रिमझिम सावन की झड़ी देख
चाहत के नगमे गाने लगा हूं
हर एक कली खिलने लगी है
और मैं मुस्कुरानेँ लगा हूं।
चिव चिव पीहू पीहू के स्वरों में
पंछी दे रहे है सूर ताल
प्रकृति की सुंदरता देख
झुमने लगा है मेरा मन।
छायी हुई है घनघोर घटा
बरस रहा है पानी
फूलों की डाली पर बैठकर
झूम रही है तितलियां रानी।
सावन की मौसम में छायी है
चहुओर हरियाली
नदिया नाला झरनें में
दिख रही है पानी ही पानी।
स्वागत में खड़े है सभी
देखाें सावन आया है
चाहत के नगमे गाने लगा हूं
और मन ही मन मुस्कुरानें लगा हूं।

नूतन लाल साहू नवीन

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1 Comments

Varsha_Upadhyay

08-Aug-2023 07:07 AM

बहुत खूब

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